"जिस तरह से मेरा पूरा बदन कांप रहा था मेरे पैर शायद ही मुझे संभाल पाते।
मुझे यक़ीन है कि वो ये जानते थे क्योंकि जब उन्होंने मेरे दूसरे निप्पल को अपने मुंह में जीभ के साथ अंदर लिया, उन्होंने मुझे पकड़ा और जकड़ा हुआ था। मैं तो एकदम ही चरम सुख पाने के क़रीब पहुँच चुकी थी। मेरे इसे पाने से पहले ही उन्होंने मुझे जाने दिया, और मेरे पीछे पड़ी कुर्सी को थामते हुए मैंने लड़खड़ाते हुए अपना संतुलन बनाया। डॉक्टर एंडरसन ने अपना मुंह अपने डेस्क की तरफ़ कर लिया था, लेकिन पीछे मुड़ते हुए उन्होंने कहा: "आराम से बैठो। मैंने देखा कि तुम्हारे निप्पल वैसे ही हैं, जैसे उन्हें होना चाहिए और वे काफ़ी संवेदनशील हैं।" मैं ग्यानाकोलोजिस्ट चेयर में बैठ गयी।
यह कहानी स्वीडिश फ़िल्म निर्माता एरिका लस्ट के सहयोग से प्रकाशित हुई है। उनका इरादा जानदार कहानियों और कामुक साहित्य की चाशनी में जोश, अंतरंगता, वासना और प्यार में रची-बसी दास्तानों के ज़रिए इंसानी फ़ितरत और उसकी विविधता को दिखाने का है।Dettagli libro
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Lingua
Hindi -
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